कनाडा और भारत के बीच आतंकवादी संगठनों के समर्थन के मामले में गहरी उलझने के बाद, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर आलोचना की है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, कनाडा में कई खालिस्तान समर्थक संगठन पाकिस्तान के इशारे पर स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं, और इनमें फेमस पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के हत्यारे भी शामिल हैं।
कनाडा में वल्र्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएसओ), खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ), सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) जैसे कई संगठन नामकरण हैं, जिन्होंने कनाडा में खालिस्तान समर्थन की जिम्मेदारी ली है। इन संगठनों के कुछ सदस्य पाकिस्तान के समर्थन में गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कनाडा में वांटेड आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय अधिकारियों और नेताओं द्वारा किए गए आरोपों को बेतुके और गलत मानते हैं।
इसके अलावा, भारत ने 16 आपराधिक मामलों में वांटेड अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला, प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले सतिंदरजीत सिंह बराड़ उर्फ गोल्डी बराड़ समेत खूंखार गैंगस्टरों के खिलाफ सबूत पेश किए हैं।
कनाडा में इन आतंकवादी तत्वों के साथ बैठे गैंगस्टरों के खिलाफ भारत ने कई डिप्लोमेटिक और सुरक्षा बैठकों में इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन कनाडाई अधिकारी इन आतंकवादी तत्वों के खिलाफ कोई कड़ा कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
इसके बावजूद, इन वांटेड आतंकवादियों और अपराधियों के डिपोर्ट के मामले में भारत ने आगे कई कदम उठाने की कोशिश की है, लेकिन इस पर कनाडाई सरकार का कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसके चलते, यह मुद्दा कनाडा और भारत के बीच संबंधों के बीच नए विवाद का कारण बन गया है।
इसके अलावा, इन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल गुरवंत सिंह समेत आठ लोगों और पाकिस्तान की आतंकी संगठन आईएसआई के साथ साजिश रचने वाले कई गैंगस्टर कनाडा में सुरक्षित शरण लेकर बैठे हुए हैं, और इनके खिलाफ जारी इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी लंबित है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन सभी आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ कनाडाई सरकार को कड़ी कार्रवाई उठानी चाहिए और इन आतंकवादी तत्वों को खालिस्तान समर्थन से दूर रखने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। वे कहते हैं कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर खुलकर आलोचना की है और कनाडाई अधिकारियों से समर्थन की मांग की है।
इस तरह की तनावपूर्ण स्थितियों में, कनाडा और भारत के बीच बातचीत की महत्वपूर्ण जरूरत है ताकि दोनों देश संयुक्त रूप से आतंकवाद के खिलाफ कदम उठा सकें और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत किया जा सके।
इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि कनाडा अपने भूमिका में सावधान रहे और खालिस्तान समर्थक संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाए ताकि वे अपने साथियों को और अन्य देशों को आतंकवाद के प्रति नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं कर सकें।
इस तरह के विवादों के बीच, संयुक्त रूप से समझौता और सहमति प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता है ताकि दोनों देश साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम कर सकें और एक सुरक्षित और स्थिर दुनिया के लिए योगदान कर सकें।